Family pension 2021 : कोविड महामारी में पारिवारिक पेंशन नियम किये गये आसान
सफलता की कहानी -36
(Family pension 2021) केंद्र सरकार ने कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक पेंशन के नियमों को आसान बनाने का फैसला लिया है ।हाल ही में यह प्रावधान किया गया है कि अन्य औपचारिकताओं और प्रक्रियों का इंतजार किए बिना, परिवार के पात्र सदस्य द्वारा पारिवारिक पेंशन और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दावा प्रस्तुत करने पर अस्थायी पारिवारिक पेंशन को तत्काल स्वीकृत प्रदान की जाए। यह प्रावधान कोविड महामारी के दौरान हुई मृत्यु के लिए लागू होता है, चाहे मृत्यु कोविड के कारण हुई हो या गैर-कोविड कारण से।
(Family pension 2021) सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के नियम 80 (ए) के अनुसार, सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिवार के पात्र सदस्य को अनंतिम अस्थायी पेंशन की स्वीकृति प्रदान की जा सकती है, जब पारिवारिक पेंशन का मामला वेतन एवं लेखा कार्यालय को भेजा दिया गया हो। हालांकि, वर्तमान में चल रही महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी किए गए हैं कि पारिवारिक पेंशन का मामला वेतन एवं लेखा कार्यालय को अग्रेषित किए बिना ही परिवार के पात्र सदस्य द्वारा पारिवारिक पेंशन और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दावा प्राप्त होने पर अस्थायी पारिवारिक पेंशन को तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाए।
(Family pension 2021)कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए हाल ही में घोषित किए गए एक अन्य महत्वपूर्ण सुधार में यह प्रावधान किया गया है कि अस्थायी पेंशन का भुगतान पीएओ की सहमति से और विभाग के प्रमुख द्वारा अनुमोदन करने के बाद सेवानिवृत्ति की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए किया जा सकता है।
सीसीएस (पेंशन), 1972 के नियम 64 के अनुसार अगर किसी सरकारी कर्मचारी के अपनी पेंशन को अंतिम रूप देने से पहले ही सेवानिवृत्त होने की संभावना होती है तो अस्थायी पेंशन की स्वीकृति सामान्य रूप से छह महीने की अवधि के लिए की जाती है।
(Family pension 2021)हालांकि, कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए, जहां कागजात जमा करने में देरी हो रही है, वहाँ नियम 64 के अनुसार अस्थायी पारिवारिक पेंशन प्रदान करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
महामारी को ध्यान में रखते हुए पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा समय-समय पर पेंशनभोगियों और बुजुर्ग नागरिकों से संबंधित प्रत्येक मुद्दे के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ प्रतिक्रिया दी जा रही है। उसी के अनुरूप सुधार भी किए जा रहे हैं।
डा.श्रीकांत श्रीवास्तव/सुन्दरम चौरसिया